1 : प्रथम भाव में राहु से कालसर्प योग बनें तो शरीर , वाणी, सिर पर प्रभाव करेगा। राहु ग्रह की महादशा में ज्यादा प्रभाव होगा। शुभ योग में राज योग भी बनता हैं और अशुभ योग में शरीर रोग, कष्ट , परेशानी, तनाव व वैवाहिक जीवन में परेशानी होगी।
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उपाय : दुर्गा चालीसा का रोज पाठ करें और गोमेद नग बडी रिंग में धारण करें , गले में हमेशा चांदी का चौकोर टुकङा पहनें।
2 : दूसरे व आठवें भाव में राहु-केतु का योग होने पर राहु अशुभ हो तो कुटुम्ब में झगङा होगा, खर्चा होगा, स्थिर धन को नष्ट करेगा। इस योग में कुटुम्ब का कोई पुर्वज प्रेत योनि या सर्प योनि में गया होगा।
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उपाय : इस योग में गोमेद नग ना पहनें , शुक्रवार जण्डी के पेड़ पर जल चढ़ाए या शीतला माता की पूजा करे।
3 : तीसरे व नवम् भाव में राहु-केतु का योग शुभ होता हैं। यह प्रराक्रम , हिम्मत, शक्ति देता हैं। बङे लोगो से सम्बन्ध बनाता हैं जिनसे लाभ मिलता हैं। राजनीति में भी लाभ होता हैं। लकिन केतु नवम् भाव का होने पर जातक के मन को तंञ-मंञ में लगा देता हैं।
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उपाय : गरीब लोगो को शुक्रवार मूली का दान करें। केतु की शान्ति के लिये कुत्ते को रोटी और दुध पिलाये।
4 : चौथे व दशवे भाव पर यह योग बनता हैं तो माता, पेट, ससुर, वाहन , भुमि से लाभ होता हैं। लकिन अशुभ योग में माता को रोग व ससुर से अनबन होती हैं।
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उपाय : दुर्गा की पुजा करें और प्रतिदिन बहते हुए जल में दूध डालें या गरीबो को दूध पिलाये।
5 : पंचम व एकादश भाव के मध्य जो कालसर्प योग बनता हैं उसमें शिक्षा, सन्तान व लिवर पर प्रभाव पङता हैं। इस योग में विद्यार्थी को पढ़ाई करते समय संगति का ध्यान रखना चाहिए क्योकि राहु मन को भटकाता है। जीवन में कठिन परिस्थिति का सामना करना पङता हैं। संतान भी कष्ट से होती हैं।
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उपाय : इस समय सर्प की पूजा करें और नाग गायञी का जाप करें।
6 : छठे व बारहवां भाव में राहु-केतु के होने पर यह योग बनता हैं। इसका प्रभाव रोग, शञु और मामा पर पङता हैं। जातक गुप्त रोग एवं षङयंञ का शिकार होता हैं। रोग आदि में खर्चा होता हैं। लेकिन शुभ योग में शञुओं पर विजय प्राप्त होती हैं तथा राहु अच्छा फल देता हैं।
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उपाय : गोमेद नग धारण करें व शुक्रवार काले उर्द पानी में बहाए। मछलियो को आटे की गोलिया डाले।
7 : राहु के सप्तम भाव में होने पर यह योग बनता हैं । यहाँ पर राहु अशुभ होने पर वैवाहिक विलम्ब, विवाह होने पर सुख में कमी रहती है। परिश्रम द्वारा ही धन मिलता हैं। लेकिन शुभ फल में चतुराई से लाभ होता हैं तथा लग्न का केतु चिङचिङा बना देता हैं। यदि केतु शुभ होगा तो आकस्मिक लाभ व लाटरी के द्वारा लाभ कराता है।
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उपाय : लहसुनिया नग छोटी रिंग में चांदी में धारण करें और प्रत्येक शनिवार कुतो को दूध पिलाये।
8 : राहु के अष्टम भाव में होने से यह योग बनता हैं। अशुभ योग होने पर रोग का भय, मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी होती हैं। शुभ फल में जातक दीर्घजीवी होता हैं तथा जीवन में भूमि, मकान, वाहन, सन्तान व सुखों की प्राप्ति होती हैं।
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उपाय : यहाँ पर कोई भी नग धारण ना करें केवल माँ भगवती का देवी कवच का पाठ करें।
9 : नवम व तीसरे भाव में कालसर्प योग बननें से भाग्योन्नति में विघ्न, बाधाएँ होती हैं, धन का अपव्यय होता हैं, कोई विश्वासघात करता हैं। लेकिन शुभ योग होने पर माँ भगवती की कृपा मिलती है तथा धन लाभ भी होता है।
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उपाय : लहसुनिया नग(कैट आई) सबसे छोटी रिंग में धारण करें व दुर्गा चालीसा का रोज पाठ करें।
10 : दशम भाव में राहु होने से यह योग बनता हैं। इसमें संघर्ष के बाद उन्नति होती हैं, पिता के सुख में कमी आती हैं। शुभ प्रभाव होने पर उच्च पद मिलता है तथा बड़े लोगो से, राजनितिक लोगो के सम्पर्क से धन लाभ होता है।
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उपाय : गोमेद नग सबसे बड़ी रिंग में धारण करें और शुक्रवार को काले उर्द दान करें।
11 : एकादश व पंचम भाव से कालसर्प योग के कारण जातक सन्तान पक्ष के कारण चिंतित, धन की परेशानी व असन्तोष बना रहता हैं।शुभ प्रभाव में लाटरी, शेयर द्वारा आकस्मिक धन लाभ, सौभाग्यशाली होता हैं।
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उपाय : राहु मंञ का जाप कराएँ और शिवलिंग पर चांदी क सर्प चढ़ाएँ।
12 : द्वादश भाव में राहु होने से यह योग बनता हैं। जातक को सिर में, नेञ में कष्ट, धन का व्यय, कोई गलत व्यसन करता हैं। शुभ प्रभाव में जातक दूर जाकर धन प्राप्त करता हैं।
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उपाय : केतु की पूजा करें और जण्डी के पेङ पर शुक्रवार जल चढ़ाएँ।
1 : कालसर्प की शान्ति के लिये सवा लाख "ॐ नमः शिवाय " का जाप करना या ब्राह्मण द्वारा करवाएँ।
2 : नाग गायञी मंत्र का सवा लाख जाप किसी विद्वान ब्राह्मण से करवाये व नाग पूजा करे।
3 : महामृत्युञ्जय मंञ का सवा लाख जाप करवाएँ।
4 : राहु मंञ का 18,000 जाप करवाएँ।
5 : नाग स्ञोत का पाठ करें।
6 : गया जी , पेहवा , पिण्डारक , हरिद्वार , कुरुक्षेञ में पिण्ड दान करें।
7 : पिञ गायञी का सवा लाख जाप करवाएँ।
8 : महाकालेश्वर की उज्जैन में पूजा कराने से कालसर्प योग का दोष दूर होता है।