प्रायः पंडितो से, ज्योतिषियों से यह प्रश्न किया जाता हैं कि बालक व बालिका किस पाये में जन्मी है। हम आपको पाये के बारे में बता रहे है कि पाया कितने प्रकार के होते है। और आपके बालक व बालिका के लिए कौंन सा पाया शुभ है।
पाया 4 प्रकार के होते हैं :-
पाया का प्रकार | फल |
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चांदी का पाया | : सर्वश्रेष्ठ |
तांबे का पाया | : श्रेष्ठ |
सोने का पाया | : सामान्य |
लोहे का पाया | : अनिष्ट |
जन्म कुंडली में चन्द्रमा से पाये के बारे में जाना जाता है जन्म कुंडली में जिस भाव में भी चन्द्रमा हो उस भाव के अनुसार पाया निर्धारित किया जाता हैं जैसे 1(लग्न), 6, 11 भावों में चन्द्रमा हो तो सोने का पाया होता है 2,5,9 भावों में चन्द्रमा हो तो चांदी का पाया होता है 3,7,10 भावों में चन्द्रमा हो तो तांबे का पाया होता है और 4,8,12 भावों में चन्द्रमा हो तो लोहे का पाया होता हैं।
हम यहाँ पर आपको चिञ के द्वारा भी समझा रहे हैं। :-
चिञ में गोल्ड रंग का चन्द्रमा :- सोने का पाया
चिञ में सिल्वर रंग का चन्द्रमा :- चांदी का पाया
चिञ में लाल रंग का चन्द्रमा :- तांबे का पाया
चिञ में काले रंग का चन्द्रमा :- लोहे का पाया
कुंडली में चांदी का पाया हो तो उसके जीवन में खुशहाली और सुख शांति रहती है सभी मनोरथ पूरे होंगे व समय पर सभी कार्य होते है जातक यश प्रतिष्ठा पाता है और अपनी माता को सुख देता है जातक भक्ति शक्ति पाने वाला होता है फिर भी आप राधा कृष्ण की उपासना करके सही मार्ग दर्शन में चलकर उन्नति कर सकते है
उपाय : यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते है जैसे कि चांदी, दही, दूध, चावल, चीनी आदि सोमवार के दिन कर सकते है और शिव जी का ॐ नमः शिवाय का जाप अपने आप या किसी ब्राह्मण से करा सकते है।
कुंडली में तांबे का पाया श्रेष्ठ माना गया है लेकिन जातक में थोड़ा सा तेजापन तो रह सकता है तब शांति व संयम से काम ले। वैसे सभी कार्य पुरे होंगे जब कभी कुछ रूकावट हो तो तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाये सुख शांति मिलेगी।
उपाय : यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते है जैसे कि तांबे के बर्तन, लाल वस्तु, फल, फूल, मिठाई आदि। यहाँ पर आपको तांबे के बर्तन से पानी पीना शुभ रहेगा और देवी का पाठ करना शुभ रहेगा।
सोने का पाया - कुंडली में सोने का पाया सामान्य होता है कुछ नुकसान की सम्भावना रहती है सभी कुछ होते हुए भी शांति नहीं मिलती है लोगो से परेशानी रहती है।
उपाय : दोष दूर करने के लिए यहाँ पर आप सूर्य नारायण को जल देवे और गायत्री मंत्र का पाठ करे व दान करे जैसे की सोने, तांबा, कपड़ा, लाल फूल, मिठाई आदि रविवार को दान करे।
लोहे का पाया - कुंडली में लोहे का पाया होना अनिष्टकारी होता है सभी कार्यो में रूकावट या विघ्न आते है शरीर में रोग व कष्ट हो सकता है पिता को परेशानी होती है नेत्र रोग, पेट रोग और बुद्धि पर प्रभाव रहता है!
उपाय : सुख शांति के लिए यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते है जैसे कि लोहे का तवा, ताले आदि और बालक के वजन के अनुसार लोहे की वस्तु का दान शनिवार को करे जो दूसरे के काम आ सके और शनि देव का पाठ करे सुख मिलेगा।
जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस राशि का होता है या जिस भाव में होगा वही पाया का विचार किया जाता है। उसी से फल होगा, चलित चक्र से कोई प्रभाव नहीं होगा।
पंचम व नवम स्थान को "लक्ष्मी स्थान" कहते हैं। केन्द्र स्थान यानी लग्न,चतुर्थ, सप्तम, एवम् दशम को "विष्णु स्थान" कहते हैं। इन लक्ष्मी स्थानों के स्वामियों का एवम केन्द्र स्थानों का सम्बन्ध आने पर इस सम्बन्ध को "राजयोग" कहते हैं या केंद्र के स्वामी शुभ होकर त्रिकोण में हो अथवा त्रिकोण के स्वामी केंद्र में हो तो यह योग राज योग होता है।
1 : लग्नेश(लग्न का स्वामी) व पंचम भाव का स्वामी के सम्बन्ध होने पर या लग्नेश व नवम का सम्बन्ध होने पर सुख, सम्पत्ति, संतान, आयु, पति-पत्नि सुख प्राप्त होते हैं।
2 : चतुर्थेश(चौथे भाव का स्वामी) व पंचम भाव या चतुर्थेश व नवम भाव का स्वामी के सम्बन्ध होने पर उच्च शिक्षा, विद्वता, सुख, भूमि, वाहन, मान, सम्मान मिलता हैं।
3 : सप्तम के स्वामी व पंचम भाव या सप्तम व नवम भाव का सम्बन्ध होने पर धनवान, भाग्यवान, ऐश्वर्य, विपुल सुख देने वाली स्ञी मिलती हैं।
4 : दशमेश(दशम भाव का स्वामी) व पंचम भाव का स्वामी या दशमेश व नवम भाव के योग से उच्च पद की प्राप्ति, राज्य, कीर्ति, मान, सम्मान आदि प्राप्त होता हैं।
धनयोग :--
(1)लग्नेश व लाभेश स्वग्रही होने पर, उच्च का होने पर (2)लग्नेश व लाभेश एक दूसरे के स्थान में होने पर (3)भाग्येश या पंचमेश धन स्थान में हो या लाभ स्थान में हो तो धनयोग बनता हैं।
पंच महापुरुष योग :-- 1 : रुचक योगः--कुंङली में मंगल स्वराशि में, उच्च राशि गत होकर केन्द्र में बैठा हो तो यह योग बनता हैं। ऐसा जातक साहसी, परिश्रमी, कीर्तिवान, धनी होता हैं।
2 : भद्र योगः-- बुध अपनी उच्च या स्वराशि में केन्द्र में हो तब यह योग बनता हैं। ऐसा जातक सुखी, धनी, सभी भोगों की प्राप्ति होती हैं।
3 : हंस योगः--गुरु अपनी स्वराशि, उच्च राशि पर केन्द्र में हो तब यह योग बनता हैं। इसमें जातक भाग्यवान, विद्वान होता हैं।
4 : मालव्य योगः--शुक्र अपनी स्वराशि, उच्च राशि पर हो तब यह योग बनता हैं। कलात्मक रुचि, सभी ऐश्वर्य, भोग आदि प्राप्त होते हैं।
5 : शश योगः-- शनि अपनी स्वराशि, उच्च राशि में केन्द्र में होने पर यह योग बनता हैं।इससे भूमि, मकान, मान, सम्मान प्राप्त होता हैं।