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श्रीजीज्योतिष

शनि देव की साढ़ेसाती और ढैय्या



शनि देव सूर्यनारायण भगवान के पुत्र है इनकी माता का नाम छाया देवी है ये शनि देव मायावाद के देवता है यदि शनि देव ना हो तो पृथ्वी की भौतिकता ही नष्ट हो जाये। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में शनि देव क्रांतिकारी, बलशाली व अनेक शक्तियों के भयानक देवता माने जाते है। इनका नाम मात्र लेने से लोगो को भय लगा रहता है। वैसे शनि देव न्यायप्रिय देवता है। इनको सभी ग्रहो में न्यायाधीश की पदवी मिली हुई है। ये जातक के कर्मो का न्याय करके सही फल देते है।

ये शनि देव ऐश्वर्य के देने वाले, दीन दुखी पर कृपा बरसाने वाले, शत्रुओ का विघटन करने वाले देवता है। ये कर्म या व्यवसाय के देवता है और जीवन का स्रोत्र है कठिन आपत्तियो व विपत्तियों में दुख का हरण करते है। इसी कारण शनि देव को दुख दूर करने के लिए तथा धन पाने के लिए याद किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में पंडित लोग शरीर में नसों, जोड़ो का विचार शनि देव से करते है। ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ पर शनि देव का प्रभाव व अस्थित्व ना हो इनको(शनि देव) को तो मानना ही पड़ेगा तभी सुख शांति व धन मिलेगा।

वैसे तो शनि देव सूर्य भगवान के पुत्र है लेकिन इनकी पिता सूर्य नारायण से शत्रुता(अनबन) है जब शनि देव पिता सूर्य नारायण के साथ बैठे हो या आमने-सामने हो तब शनि देव का बल बढ़ जाता है। सूर्य नारायण तुला राशि में नीच के होते है तो शनि देव तुला राशि में उच्च के होते है और जब सूर्य नारायण मेष राशि में उच्च के होते है तब शनि देव मेष राशि पर नीच का होकर बैठते है ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रभाव विपरीत हो जाता है क्योकि यहाँ पर शनि देव का बल बढ़ने से शुभ व अशुभ फल मिलते है। इसलिए यहाँ पर शनि देव की पूजा, छाया दान का विषेश महत्व है।

जब भी शनि किसी की राशि पर ढैय्या या साढ़ेसाती के रूप में आता है तब अशुभ प्रभाव होता है जिससे जीवन में आर्थिक तंगी, परेशानिया, शरीर कष्ट, आमदनी व सभी कार्यो में अड़चन, अधिक खर्चा होना व रोग आदि से जीवन दुखी होता है। इसका हमने अनुभव किया है अपने जीवन में। यदि शनि ढैय्या या साढ़ेसाती के समय वक्री होता है तब इसका प्रभाव बहुत ज्यादा ख़राब होता है। उस समय निर्णय करने की शक्ति चली जाती है तब सयम से ही काम लेना चाहिए।

शनि की साढ़ेसाती क्या होती है.. शनि एक राशि पर ढाई साल तक रहता है जिस राशि पर रहता है उससे अगली राशि व पीछे वाली राशि पर इसका प्रभाव पड़ता है जैसे - इस समय कुम्भ राशि पर शनि देव चल रहे है तो आगे की राशि मीन व पीछे की राशि मकर पर इसका प्रभाव रहेगा। मीन राशि पर इसका प्रभाव शुरू का व मकर राशि में शनि का उतरता हुआ प्रभाव रहेगा। इस प्रकार साढ़ेसात साल का शनि का भ्रमण काल(समय) को साढ़ेसाती कहते है। इसी तरह जिस राशि पर शनि रहता है उससे छठी राशि पर तथा दशवी राशि पर शनि की ढैय्या रहती है इस बार शनि की ढैय्या कर्क और वृश्चिक राशि पर रहेगी जो 29 अप्रैल 2022 से चल रही है तथा शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मकर, कुम्भ और मीन राशि पर रहेगा।

कई बार देखा जाता है कि साढ़ेसाती या ढैय्या सभी राशि वालो पर आती है लेकिन इसका प्रभाव कई बार राशियों पर कम ज्यादा देखा गया है। इसका कारण है कि यदि शनि देव कुंडली में अच्छी स्थिति में होते है तो साढ़ेसाती या ढैय्या आने पर प्रभाव कम होता है। यदि शनि की स्थिति जन्मपत्री में खराब होती है तो हानि की सम्भावना ज्यादा रहती है।







इस वर्ष शनि देव कुम्भ राशि में 29 अप्रैल 2022 से प्रवेश करेंगे। :-



शनि की साढ़ेसाती मकर - कुम्भ - मीन राशि वालों पर है इसमें मकर राशि वालों को पांव पर उतरती हुई, कुम्भ राशि वालों को हृदय पर (अर्थात मध्य पर) और मीन राशि वालों पर सिर पर चढ़ती हुई होगी।

शनि की ढैय्या - कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर अशुभ प्रभाव डालेगी।

मेष राशि : मेष राशि पर शनि की तीसरी नीच दृष्टि पड़ेगी। आय में कमी आएगी और खर्चा ज्यादा होगा। कोई व्यक्ति नीचता या अपमानित कर सकता है। सोच विचार कर कार्य करे। किसी पर भरोसा न करे। भाई बन्धुओ से अनबन होगी। मेष राशि पर शनि का पाया लोहा होने पर मानसिक परेशानी, बनते कार्यो में विघ्न होगा। तब शनि का दान, पूजा पाठ व छाया दान भी करे।

वृष राशि : वृष राशि से शनिदेव दशमे भाव में होंगे। कार्य व्यवसाय में विघ्न आएगा। लेकिन बाधाओं के बाद भी निर्वाह योग्य आय के साधन होंगे। इस राशि से राहु भी चले गए है। इस कारण कुछ शांति रहेगी। झगड़ा वाद विवाद में विजय मिलेगी। इस राशि पर सोने का पाया होने से खर्चा अधिक होता है। गेहू, गुड़, लाल फल का दान व मंदिरो में लाल झंडा लगावे।

मिथुन राशि : मिथुन राशि से शनि नवमे भाव में संचार करेंगे। ये भाग्य का भाव होता है। भाग्य के सहारे कम और कर्म ज्यादा करने पर ही सफलता मिलेगी। जीवन में संघर्ष व अड़चने आती जाती रहेगी। लेकिन नौकरी में उन्नति भी मिलेगी। आलस्य न करे। तभी सफलता मिलेगी। व्यवसाय में लाभ के चांस बनते है। शनि बुध दोनों ग्रह को खुश करे। पूजा पाठ के द्वारा शुभ कार्यो में खर्चा भी होगा। हरी व काली वस्तु का दान करे।

कर्क राशि : कर्क राशि पर इस बार शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहेगा। शनि चन्द्रमा की राशि में होने पर विष योग भी बनाता है। जो विघ्न परेशानी, खर्चा कराता है। बनते हुए कार्यो में रूकावट का सामना करना पड़ेगा। पाया रजत होने से लाभ के अवसर भी मिलेंगे। यात्राओं का योग भी बना है। इस कारण मिलाजुला प्रभाव रहेगा। तब शनिवार को श्री हनुमान चालीसा का पाठ व भोग लगावे।

सिंह राशि : सिंह राशि पर शनि की सप्तमस्थ शत्रु दृष्टि पड़ने से नौकरी व्यवसाय में संघर्ष अधिक रहेगा। खर्चा भी अधिक होगा। बिना कारन कोई नुकसान या अपमान मिल सकता है। इस कारण किसी से वाद विवाद न करे। घरेलु समस्या भी होती रहेगी। शनि का पाया लोहा होने पर मानसिक परेशानी भी रहती है। तव सूर्यनारायण की आराधना व पीपल पर शनिवार को सरसो के तेल की जोत जलाये।

कन्या राशि : कन्या राशि से शनि छटे भाव में होने पर कठिनाइयां आती जाती रहेगी। निर्वाह योग्य धन प्राप्ति के साधन बनेंगे। गुरु की शुभ दृष्टि होने पर घर-परिवार में कोई शुभ कार्य व धर्म के कार्य होंगे। यहाँ पर गुरु व शनि दोनों की पूजा से लाभ व सुख शांति मिलेगी। स्वास्थ्य में भी लाभ होगा। तरक्की के अवसर बनेंगे।

तुला राशि : तुला राशि से पंचम भाव में शनि पूज्य होता है। सभी कार्यो में, विद्या में सफलता मिलेगी। धन लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। अनावश्यक मतभेद भी उभरेंगे। लेकिन जीवन में निर्वाह योग्य धन लाभ होता है। शनि की ढैय्या जाने से स्वास्थ्य लाभ व धन लाभ भी होगा। शनि का पाया सोना होने से विशेष लाभ में थोड़ा विघ्न होना दर्शाता है। शनिदेव की पूजा व शनिवार को सरसो के तेल की पीपल पर जोत जलावे।

वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहेगा। जिससे धन की हानि, निकट भाई बन्धुओ से वैमनस्य, कलह कलेश और खर्च आदि रहेंगे। फिर भी गुरु की शुभ दृष्टि होने पर कुछ शांति रहेगी व शुभ कार्य भी होंगे। किसी से वाद विवाद बहस न करे। कोई बात को मन में न रखे। निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। भूमि वाहनादि सुखो की प्राप्ति होगी। यहाँ पर आप शनि व मंगल की पूजा करे। श्री हनुमान चालीसा का पाठ करे व ब्राह्मण को प्रणाम करे।

धनु राशि : धनु राशि से तीसरे भाव में शनि होने पर पराक्रम में वृद्धि, भूमि वाहन का सुख पाने वाला व भौतिक सुख साधन सुविधाओ की प्राप्ति होती है। राशिपति गुरु शुभ रहने से विशेष लाभ होता है। लेकिन शनि का पाया लोहा होने पर अचानक खर्चा होना व शरीर कष्ट होगा। तव शनि का पाठ व दान करे। ब्राह्मणो का सम्मान करे।

मकर राशि : मकर राशि से शनि दूसरे भाव में होने पर साढ़ेसाती का अभी प्रभाव रहता है। घरेलु परेशानियां, आर्थिक तंगी होना, आय कम और खर्चा ज्यादा होता है। शनि का पाया ताम्र होने पर समय समय धन लाभ भी होगा। कई अवसर धन प्राप्ति के मिलेंगे। केतु की चतुर्थ दृष्टि होने पर वाद विवाद बहस न करे। कुत्तो को रोटी खिलाए। शनिवार को पीपल पर सरसो के तेल की जोत जलावें।

कुम्भ राशि : कुंभ राशि पर शनि स्वराशिगत होने पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहने से उलझनों के साथ धन लाभ होता है। वैसे शनि कुम्भ राशि के लिए शुभ फल देता है। सभी कार्यो में सफलता, धन लाभ, रुके कार्य पुरे होंगे। भूमि वाहन का लाभ, कोई पुराना मकान भी मिलेगा। शनि का पाया चांदी होने पर शुभ प्रभाव रहता है। आलस्य त्याग कर कार्य करे तभी सफलता मिलेगी। शनिवार को पीपल पर सरसो के तेल की जोत जलाये।

मीन राशि : मीन राशि से शनिदेव बारहवे भाव में होने पर संघर्षपूर्ण परिस्थिति रहती है। बनते कार्यो में अड़चन तथा विलम्ब होगा। किसी रोग के कारण कष्ट हो सकता है। शनि का पाया सोना होने पर तनाव रहता है अर्थात समय कमजोर रहेगा। परन्तु गुरु के इस राशि पर संचार करने पर संतान सम्बन्धी शुभ समाचार प्राप्त होंगे। कोई शुभ काम भी हो सकता है। इस कारण शनिवार को पीपल पर सरसो के तेल की जोत जलाये।



शनि के शांति के उपाय :
1 - शनि मंत्र का जाप करे या करावे।
2 - शनिवार रात को पीपल वृक्ष पर सरसो के तेल की जोत जलावे।
3 - हिजड़ो को शनिवार को दान करें।
4 - शिव जी की पूजा करें।
5 - छाया दान व तुला दान भी करें।



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